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झांसी में प्रशासन ने गैंगस्टर संजय यादव के खिलाफ की बड़ी कार्रवाई

झांसी में प्रशासन ने गैंगस्टर संजय यादव की पांच करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली है। संजय पर आधा दर्जन आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। जिनमें ज्यादातर जमीन कब्जाने से संबंधित हैं।

                              


यूपी के झांसी में प्रशासन ने रिटायर्ड पीएससी जवान व गैंगस्टर संजय यादव की पांच करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली है। उस पर आधा दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें ज्यादातर जमीन कब्जाने से संबंधित हैं। एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार के मुताबिक वह पहले पीएसी में जवान था, वर्दी की आड़ में काले कारनामे कर उसने अकूत संपत्ति बना ली थी। उसे जबरन रिटायर कर दिया गया था।

प्रेमनगर के राजगढ़ स्थित पीएसी बाउंड्रीवॉल के पास बनी कोठी में रहने वाला संजय यादव मूलरूप से हमीरपुर के कुरारा के बचरौली गांव का रहने वाला है। पीएसी में सिपाही होते हुए संजय ने गैंग बनाकर अपराध किए और गरीबों व असहायों की जमीनें कब्जा कर लीं। एफआईआर दर्ज होने के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, हाईकोर्ट से उसकी बहाली हो गई थी। इधर, डीएम के आदेश पर गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध से अर्जित संजय की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए गए।

पुलिस व राजस्व विभाग की टीम ने मंगलवार को ढोल बजाकर मुनादी कर उसकी कोठी सहित पांच करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली गई। एसपी के मुताबिक संजय के खिलाफ 2023 में धोखाधड़ी, मारपीट, जान से मारने की धमकी सहित विभिन्न धाराओं में पांच मुकदमे दर्ज हुए थे। 2024 में उस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था।

कुरारा थाना क्षेत्र के बचरौली गांव निवासी पीएसी जवान संजय यादव ने कुछ सालों में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। झांसी डीएम के अनुसार झांसी में कुर्क की गई संपत्ति से कहीं ज्यादा संपत्ति हमीरपुर के कुरारा में है। इसमें 18 बीघा में बनी आलीशान कोठी है, जिसमें महाविद्यालय खोले जाने की तैयारी है। गांव में भव्य मकान के साथ-साथ लग्जरी वाहन और लाइसेंसी असलहे हैं। संभावना है कि झांसी पुलिस सिपाही की कुरारा की संपत्ति भी जल्द सीज कर सकती है।

पार्षदी का चुनाव लड़ चुका है संजय

रिटायर्ड पीएसी जवान संजय के पिता रामरतन यादव परिषदीय स्कूल से शिक्षक पद से सेवानिवृत हुए। इनके पास 23 बीघा कृषि भूमि थी। इनके चार पुत्र संजय, धनंजय सिंह, पिंटू यादव और अचल सिंह हैं। संजय पीएसी में सिपाही चयनित हुआ। झांसी में तैनाती के दौरान संजय ने सपा शासनकाल में ही प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया और थोड़े ही समय में करोड़ों का मालिक बन बैठा। सिपाही से राजनीति में कदम रखने वाला संजय झांसी में पार्षदी चुनाव भी लड़ चुका है। इसके बाद संजय कुरारा ब्लाक के सिकरोढ़ी गांव से बीडीसी सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत गया। बाद में सपा ने इसे ब्लाक प्रमुख पद के लिए अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया लेकिन इसमें हार मिली। संजय का छोटा भाई अचल यादव बचरौली गांव का ग्राम प्रधान है।

जखेला में पत्नी के नाम बनवा रहा था महाविद्यालय

संजय ने कुरारा ब्लाक के जखेला गांव जाने वाले रास्ते पर पत्नी के नाम सुधा महाविद्यालय के लिए 18 बीघा जमीन खरीदी। बाउंड्रीवॉल से घेरकर अंदर कोठी बनाई है। महाविद्यालय भी निर्माणाधीन है। भौली रोड में तीन बीघा खेत, झलोखर में सात बीघा, बिवांर में आठ बीघा तथा छानी गांव में फार्म हाउस राठ हाईवे किनारे बना है। हमीरपुर में ईदगाह के पास ढाई हजार वर्ग फीट का मकान है। कुरारा में जल संस्थान के पास प्लाट है। संजय के पास दो शस्त्र लाइसेंस रायफल व रिवाल्वर के हैं। झांसी नंबर की फार्च्यूनर गाड़ी भी है। इनके घर में दो स्कार्पियो, क्रेटा कार, मारुति कार, बोलेरो, स्वराज ट्रैक्टर, जेसीबी मशीन आदि वाहन है।

दस साल में बदल गए हालात

सूत्रों के अनुसार संजय के परिवार का दस साल के अंदर कायाकल्प हो गया। इसके पहले इनका सामान्य रहन-सहन था। एक साधारण सिपाही से राजनीति में आने तक इसके पास अकूत संपत्ति कहां से आई, इसकी जांच झांसी से शुरू होकर कुरारा तक आएगी।

राजनीति में जम नहीं पाया संजय

पीएसी में रहते हुए संजय यादव ने अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति बनाने के बाद राजनीति में पैर जमाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव में संजय ने खूब जोर लगाया, पैसा भी पानी की तरह बहाया, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। इधर, जैसे ही संजय के अपराधों की फाइल के पन्ने पुलिस ने पलटने शुरू किए, उसने बचने की नीयत से सपा से किनारा कर लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का दामन थाम लिया। हालांकि पार्टी ने इसे कोई पद नहीं दिया था।

साभार - हिंदुस्तान 


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