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600 साल पुराने इस किले की दीवारें आज भी बयां करती हैं कछवा राजपूतों के पराक्रम की कहानी

बुंदेलखंड की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक रामपुरा किला वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। चंबल के हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित यह किला लगभग 600 साल पहले महाराज रामशाह (रामसिंह) जूदेव द्वारा निर्मित किया गया था। उन्होंने इस किले को अपनी राजसी शक्ति और गौरव के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। उस युग के राज महलों में इसका विशेष स्थान था और इसे बुंदेली रियासत का 'स्वर्ण मंदिर' कहा जाता है।



आज भी यह किला अपने अतीत की शाही विरासत को जीवंत रखता है और इसकी दीवारें आज भी कछवा राजपूतों के पराक्रम की कहानी बयां करती हैं। इस किले की विशेषता इसकी अनूठी स्थापत्य कला में है, जो उस समय के कुशल कारीगरों की प्रतिभा को दर्शाती है। किले के चारों ओर फैले हरे-भरे जंगल और चंबल की सुंदरता इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। यहाँ के शांत और प्राकृतिक परिवेश में आकर पर्यटक एक अद्भुत अनुभव का आनंद ले सकते हैं।

किले की विशेषताएँ

रामपुरा किला अपनी अद्वितीय संरचना और बुंदेलखंड की ऊबड़-खाबड़ भूभाग पर बनी अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। किले का एक हिस्सा समय की मार से खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा अभी भी रहने योग्य है। किले में करीब 100 कमरे हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक शाही जीवन का अनुभव कर सकते हैं और बुंदेलखंड की संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं।



रोमांचक अनुभव

रामपुरा किले का दौरा करना किसी रोमांच से कम नहीं है। पर्यटक यहाँ जंगल सफारी का आनंद ले सकते हैं, जहाँ वे बुंदेलखंड के घने जंगलों और बीहड़ों का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा, नाव की सवारी करके पाँच नदियों के संगम को देख सकते हैं, जो नौकायन और मछली पकड़ने के लिए आदर्श स्थान है।

आसपास के दर्शनीय स्थल

रामपुरा किले के आस-पास कई अन्य किले हैं, जैसे जगम्मनपुर, गोपालपुरा, तिहेर, सरावन, सेवंदा, मचांड, लहार और कालपी। पचनदा क्षेत्र में पर्यटक पांच नदियों- कुंवारी, पहुज, जमुना, चंबल और सिंध के संगम का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ कई प्राचीन मंदिर हैं, जैसे करण खेड़ा मंदिर और भैरोजी मंदिर, जो आज भी स्थानीय लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कैसे पहुँचें?

रामपुरा किला सड़क और रेल मार्ग दोनों से आसानी से पहुँच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन उरई है, जो रामपुरा से 55 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से आने वाले पर्यटक कानपुर (155 किलोमीटर) या झांसी (160 किलोमीटर) रेलवे स्टेशन से पहुँच सकते हैं।

रामपुरा किला बुंदेलखंड की शाही धरोहर है, जो आज भी अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यह किला न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है जो शाही जीवन और ग्रामीण भारत की संस्कृति का आनंद लेना चाहते हैं।



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