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Lalitpur : पर्यटकों को लुभा रही कनकद्दर जलप्रपात की आवाज

Lalitpur News - जनपद के गौना वन रेंज में स्थित विंध्याचल पर्वत की श्रृंखलाओं के बीच कनकद्दर जलप्रपात की कलकल, छलछल की आवाज पर्यटकों को लुभा रही है। करीब 70 फीट ऊंचाई से गिर रहे झरने को देखने के लिए आसपास के सैलानी आने लगे हैं।

                                            


जनपद के डोंगराखुर्द गांव से महज पांच किलोमीटर का रास्ता नापने के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। इसका दूसरा रास्ता एमपी के मालथौन से होकर आठ किलोमीटर अमारी गांव से जाता है। कनकद्दर के जलप्रपात तक पहुंचने के लिए दोनों ही रास्ते बरसात में बड़े ही दुर्गम हैं। लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आसपास के गांव और शहरों से पहुंच रहे हैं। कनकद्दर जलप्रपात करीब 90 फीट चौड़ा और 70 फीट की ऊंचाई से गिरकर अपने शोर करते कलनाद में खामोशियां उत्पन्न कर रहा है। इसका बहता पानी सजनाम बांध की गोद में गिरकर यहां की वसुंधरा को हरा-भरा करता है। नदी में करीब आठ माह तक पानी रहता है, जिसे किसान खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग करते हैं। साथ ही जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के काम आता है। कनकद्दर जलप्रपात तक सैलानी जंगल से होकर पैदल गुजरते हैं। पत्थरों की चट्टानों के ऊबड़-खाबड़ रास्ते से थकान महसूस होती है। लेकिन यहां का हरा-भरा जंगल प्राकृतिक सौंदर्य मनोहारी विंध्यांचल की पहाड़ियों के मनोहारी सुंदर नजारा लोगों की थकान मिटाकर स्फूर्ति भर देता है। पर्यटन के रूप में भी इस स्थल को विकसित किया जा सकता है। ताकि, यहां तक पहुंचना आसान हो जाएगा।

न सुरक्षा और न ठहरने के इंतजाम

बाहर से आने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार के ठहरने, बिजली, पानी की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कारण पर्यटक उसी दिन लौट जाते हैं। सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, जैसे जाली, रेलिंग-सीढि़यां न होने से जरा सी चूक होने पर सीधे जान गंवानी पड़ती है। दो साल में दो युवकों की यहां डूबने से मौत हो चुकी है।

कनकद्दर के जलप्रपात तक पहुंचने के लिए दोनों ही रास्ते दुर्गम हैं। शासन-प्रशासन को यहां सड़क बनवानी चाहिए। - मुकेश लोधी, अधिवक्ता।

कनकद्दर के जलप्रपात के आसपास पर्यटकों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे पर्यटक शाम ढलने से पहले ही वहां से निकल जाते हैं। - शुभम जैन।



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