Damoh News : मध्यप्रदेश में दमोह के बांदकपुर में 13वे ज्योर्तिलिंग के रूप में श्री देव जागेश्वरनाथ विराजे हैं। बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र में भगवान जागेश्वरनाथ के दर्शन करने प्रदेश ही नहीं देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कई श्रद्धालु चार धाम यात्रा से लौटने के बाद तीर्थों का जल लाकर इमरती कुंड में डालते हैं।
श्री देव जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर समूचे बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र है। यहां भगवान महादेव विराजमान हैं जिन्हे बुंदेलखंड में 13वे ज्योर्तिलिंग के रूप में भी जाना जाता है। भगवान जागेश्वरनाथ के दर्शन करने प्रदेश ही नहीं देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
20 मीटर लंबी पक्की सीढ़ीदार बावली, जिसे कुंड कहते हैं
मंदिर परिसर में स्थित इमरती कुंड हाथी दरवाजे से सीधे उत्तर की ओर महादेव के मंदिर व नंदीमठ के उत्तर में यज्ञ मंडप के पूर्व में भैरव के मंदिर से पश्चिम में मंदिर कार्यालय के दक्षिण में 20 मीटर लंबी पक्की सीढ़ीदार बावली है जिसे हम इमरती कुंड के नाम से जानते हैं।
1762 में सीढ़ियां वाले कुंड का जल खारा है
1762 में सीढ़ियां बनवाई गई थीं इस का जल खारा है। यह प्राचीन अमृत कुंड है। कुंड के जल से स्नान करने के बाद दीवान बालाजी को पूजन के समय ध्यान करते हैं। शिव जी ने साक्षात दर्शन देकर अपने स्वयंभू होने का परिचय सन् 1711 ईस्वी में दिया था। इस इमरती कुंड का निकास मंदिर परिसर में स्थित यज्ञ मंडप की ओर है। मंदिर में आने वाले समस्त श्रद्धालु इमरती के जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। कई श्रद्धालु चार धाम यात्रा से लौटने के बाद तीर्थों का जल लाकर इमरती में डालते हैं।
कुंड के ऊपरी भाग को मोटे लोहे की जालियों से सुरक्षति किया
- मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने बताया कि पूर्व में इमरती कुंड का ऊपरी भाग खुला हुआ था।
- मेले के समय अधिक भीड़ होने के कारण कि सी भी प्रकार की दुर्घटना ना हो इसको देखते हुए
- ट्रस्ट कमेटी के द्वारा इमरती कुंड के ऊपरी भाग को मोटे लोहे की जालियों से सुरक्षति कर दिया।
- इमरती का जल भरने के लिए पक्की सीढ़ियों व लोहे के पाइपों से दो भागों में विभक्त कर दिया ।
- एक होदी का निर्माण भी कराया गया है जिसमें मशीन के द्वारा इमरती कुंड का जल लाया जाता है।
- श्री देव जागेश्वरनाथ के जलाभिषेक के लिए इमरती कुंड से ही यह जल दर्शनार्थी लेकर जाते हैं।
मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक बोले-कुंड का ऐसे नाम पड़ा इमरती
मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक ने बताया किदवंती है कि इमरती नाम की एक कन्या अपनी सहेलियों के साथ यहां पर खेल रही थी। मकर संक्रांति का मेला भरा हुआ था भक्तों की भीड़ में कि सी भक्त का धक्का लगने से वह उस कुंड में गिर गई।
सहेलियों के चिल्लाने पर मंदिर के पुजारी आवाज सुनकर दौड़े और कुंड से उस बालिका को बाहर निकाला। उस बालिका की मौत हो चुकी थी यह देखकर के सभी बहुत दुखी हुए। मंदिर के पुजारी ने सबको ढाढस बंधाते हुए कहा कि धैर्य रखें भोलेनाथ जरुर कृपा करेंगे और उस बालिका को मंदिर में रखकर पट बंद कर दिए।
2 घंटे बाद पट खोले गए तो वह बालिका जीवित मिली और उसने बताया कि मुझे एक जटाधारी साधु ने जीवनदान दिया है। भोलेनाथ के चमत्कार को देखकर के भोलेनाथ की समस्त भक्त जय- जय कार करने लगे और उस दिन से इस कुंड का नाम इमरती कुंड पड़ा।
श्री जागेश्वर नाथ धाम का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। वर्ष भर मंदिर में कई उत्सव आयोजित होते हैं जिसमें भक्तों की भारी भीड़ रहती है। प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी अधिक भव्यता से मेला आयोजित कराने और भक्तों को सुविधा के लिए मंदिर ट्रस्ट के द्वारा एक बैठक आयोजित की गई है। जिसमें भक्तों की सुविधाओं को देखते हुए ट्रस्ट कमेटी के द्वारा कई निर्णय लिए गए।
साभार : नई दुनिया
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