रणछोर धाम मंदिर व मुचकुंद गुफा का मार्ग होगा एक करोड़ से तैयार
रणछोर धाम जाने के लिए धौर्रा होते हुए करीब 20 किलोमीटर लंबा चक्कर काटना पड़ता है, जबकि जाखलौन के पास ग्राम सैपुरा से बंजरिया घाटी से होते हुए एक वन मार्ग है, जहां से रणछोरधाम का रास्ता महज सात किलोमीटर दूर है। यहां वन क्षेत्र का मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है। विभाग ने इस वन मार्ग को बनाने के लिए इको पर्यटन के तहत निर्माण कराने की योजना तैयार की है। इसके निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये मांगे गए हैं, इससे तीन मीटर चौड़ा रास्ता तैयार किया जाना है।
ललितपुर वन रेंज स्थित रणछोर धाम व मुचकुंद गुफा का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है। मान्यता है कि कालयवन से युद्ध करते हुए भगवान कृष्ण रण छोड़ कर धौर्रा वन क्षेत्र स्थित इसी गुफा में छिपे थे। यहां राजा मुचकुंद विश्राम कर रहे थे। उन्हें वरदान था कि जो उनकी नींद को भंग करेगा, वह भस्म हो जाएगा। कालयवन ने कृष्ण समझकर उनकी नींद भंग कर दी, जिससे वह भस्म हो गया। यहां प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर मेला लगता है, लेकिन यहां पहुंच मार्ग न होने के कारण पर्यटकों को काफी असुविधा होती है। इस प्राचीन स्थल तक सुगम मार्ग तैयार करने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है। सैपुरा से गुफा तक वन क्षेत्र से मार्ग तैयार किया जाएगा, जिससे वहां वन क्षेत्र का भी पर्यटक आनंद ले सकेंगे।
25 करोड़ से होगा आसपास के क्षेत्र का विकास
वन विभाग ने मुचकुंद गुफा के आसपास के क्षेत्र में व रणछोर तक पाथवे बनाने की कार्ययोजना तैयार की है। इसके अलावा वहां पर्यटन सुविधा के अन्य कार्य भी प्रस्तावित किए गए हैं, जिससे पर्यटकों का आकर्षण इस क्षेत्र की ओर हो सके।
ललितपुर रेंज अंतर्गत रणछोर क्षेत्र में इको पर्यटन विकसित करने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। शासन से इसके लिए एक करोड़ 25 लाख रुपये की धनराशि मांगी गई है। धनराशि निर्गत होते ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
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