चित्रकूट के सिद्धा पहाड़ में वनवासी राम भी विराजमान, भिंड के सरोवर में तैर रही श्रीराम मंदिर की प्रतिकृति
अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ चित्रकूट के सिद्धा पहाड़ में वनवासी राम भी विराजमान हो गए और मध्य प्रदेश सतना के सांसद गणेश सिंह ने पूजन कर मूर्ति का अनावरण किया। ऐसे में रामोत्सव को लेकर तपोभूमि चित्रकूट में उत्साह दोगुना रहा तो वहीं शाम को दीपोत्सव से पहाड़ जगमगा उठा। इसके पहले कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर दिन भर जय श्रीराम का जयघोष गूंजता रहा।
अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ चित्रकूट के सिद्धा पहाड़ में वनवासी राम भी विराजमान हो गए। मध्य प्रदेश सतना के सांसद गणेश सिंह ने पूजन कर मूर्ति का अनावरण किया। ऐसे में रामोत्सव को लेकर तपोभूमि चित्रकूट में उत्साह दोगुना रहा।
शाम को दीपोत्सव से पहाड़ जगमगा उठा। इसके पहले कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर दिन भर जय श्रीराम का जयघोष गूंजता रहा। त्रेता युग में वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम ने सिद्धा पहाड़ पर ही धरती को राक्षस विहीन करने का संकल्प लिया था। इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस में है।
वनवास के दौरान श्रीराम को ये बताया
वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम सिद्धा पर्वत पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि यह सामान्य पहाड़ नहीं है बल्कि ऋषि-मुनियों और संतों की अस्थियों का ढेर है, जिनका राक्षसों ने वध किया है। यह देखकर भगवान दुखी और क्रोधित हुए थे। उन्होंने अपनी भुजाएं उठाकर धरती को निशाचरों से विहीन करने की प्रतिज्ञा ली थी। भुजा उठाकर प्रतिज्ञा करते वनवासी राम की प्रतिमा को सिद्धा पहाड़ के नीचे से भी देखा जा सकेगा। वन विभाग ने यहां तक जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया है।
50 लाख रुपये की लागत से 1400 मीटर लंबा परिक्रमा पथ बनाया है। सांसद गणेश सिंह ने कहा कि सिद्धा धाम को तीर्थस्थली के रूप में विकसित किया जाएगा। आस्था और श्रद्धा को देखते हुए सिद्धा पहाड़ का नामकरण सिद्धा धाम के रूप में किया जा रहा है।
लोगों ने किया दीपदान
कामतानाथ के दरबार में लाखों श्रद्धालुओं ने पहुंच कर रामोत्सव मनाया। जो अयोध्या नहीं जा पाए वह वनवासी राम की तपोस्थली पर पहुंचे। दर्शन के लिए सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। कामदगिरि प्राचीन मुखार बिंद में विशेष आरती का आयोजन हुआ। कामदगिरि के चारों मुखारबिंद को भव्य रूप से सजाया गया था।
भिंड के सरोवर में तैर रही श्रीराम मंदिर प्रतिकृति
भिंड अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर मध्य प्रदेश में भिंड जिले के गौरी सरोवर में सोमवार सुबह श्रीराम मंदिर की 84 फीट लंबी और 42 फीट चौड़ी तैरती हुई प्रतिकृति बनाई गई। मोजेक आर्ट विधि का उपयोग कर बनाई गई इस प्रतिकृति के दावे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडिया बुक के रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कागजी प्रक्रिया भी पूरी की है। इस प्रतिकृति को बनाने में 10 दिन का समय लगा।
इसको बनाने में नगर पालिका, महिला बाल विकास, जन अभियान परिषद एवं स्कूली छात्र-छात्राओं सहित 200 लोगों ने सहयोग किया, जिसे भिंड वाटर स्पोर्ट्स संरक्षक राधेगोपाल यादव, मुंबई से प्रशिक्षित रघुराज तिवारी और बृजराज तिवारी के नेतृत्व में बनाया गया। इसे बनाने में 1,23,000 पिक्सल से पेंट का उपयोग किया गया है।
हरे, लाल, नीले, पीले, काले व सफेद रंग से बनाई गई यह प्रतिकृति
हरे, लाल, नीले, पीले, काले और सफेद रंग से यह प्रतिकृति बनाई गई है, लेकिन विशेषता यह है कि दूर से देखने पर प्रतिकृति में जो रंग नजर आते हैं, उनका पूरी प्रतिकृति में कहीं उपयोग नहीं किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर बनाई गई इस प्रतिकृति को देखने के लिए आसपास के इलाकों से भी लोग पहुंच रहे हैं।
भिंड के गौरी सरोवर में बनाई गई रामं मंदिर की प्रतिकृति।
गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड एवं इंडिया बुक रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए हुआ प्रयास यह प्रतिकृति बनाने का राष्ट्रीय स्तर पर अपनी तरह का अलग प्रयास है। लोग इसे देखकर अभिभूत हैं। आयोजकों की ओर से इसे वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराए जाने का दावा भी किया गया है।
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