Bundelkhnd Sagar में गाय की पूंछ के नीचे से निकलकर रखने वाले कौन सा है ये व्रत? जिसका होता है उत्सव
Bundelkhand Sagar:
एमपी के सागर सहित पूरे बुंदेलखंड (Bundelkhand) में मोनिया उत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया गया। जिसमे जगह-जगह पर मोनिया नृत्य करते हुए नजर आए। इस अंचल में दीपावली के पांच दिन उत्सवी माहौल रहता हैं। जो कई सालों से परंपरा निभाई जा रही हैं
आपको बता दे कि दीपावली के दूसरे दिन से लेकर भाई दूज तक यह त्यहौर बड़े धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमे लोग सुबह गोवर्धन पूजा करते है। इसके बाद इसके बाद गांव के कुछ लोग जो मौन व्रत धारण करते है। तैयार होकर लोग अपने-अपने गांव के खिरका पहुंचते है, जहां पर वह गाय की पूछ के नीचे से निकलकर मौन व्रत धारण करते हैं। साथ ही व्रत धारण करने वाले मोनिया दौड़ते हुए भाग जाते है। जो पूरे दिन जगह जगह पर आयोजित खिरका यानी मोनिया उत्सव वाले मेले में मोनिया नृत्य करते हैं, साथ ही पूरे दिन वह 12 मौजे को लांघकर शाम को घर आकर पूजा करके उपवास तोड़ते है।
मोनिया उपवास का विशेष महत्व होता है जिसमे लोगो को बारह वर्ष मोनिया ब्रत धारण करना होता है। इसके बाद गोवर्धन पर्वत जाकर पूजा अर्चना करके यह उपवास समाप्त हो जाता है।लगभग प्रत्येक गांव से मोनिया गोवंश के रक्षक माने जाने वाले कारसदेव बाबा के यहां विशेष पूजा के साथ मौन व्रत लेकर निकलते हैं। लगभग 7 गांव की सीमाओं को लांघकर वह दोबारा शाम को कारसदेव बाबा के दर पर पूजा कर अपनी व्रत पूरा करते हैं।
यह त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दोज तक चलता है। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के साथ ग्रामीण अलग-अलग टोलियां बनाकर पीले कपड़े पहनकर पैरों में घुंघरू बांधकर एवं मोर हाथ में निकलते हैं। यह अलग-अलग गांव में जाकर देव स्थानों पर नृत्य करते हैं। सालों से चली आ रही एस परंपरा को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार बड़ी संख्या में गांव-गांव से मोनिया निकलते।
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