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Solar Highway: बुंदेलखंड (Bundelkhand) एक्सप्रेसवे होगा उत्तर प्रदेश का पहला सोलर पावर वाला हाईवे

Solar Highway: बुंदेलखंड (Bundelkhand) एक्सप्रेसवे होगा उत्तर प्रदेश का पहला सोलर पावर वाला हाईवे, जानें खूबियां

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उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड (Bundelkhand) एक्सप्रेसवे पूरी तरह से सोलर एनर्जी पर निर्भर होने वाला पहला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने के लिए तैयार है। पिछले साल से चालू, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में पूरे राजमार्ग पर सौर पैनल लगाए जाएंगे, जो न सिर्फ यात्रियों के लिए सड़क को रोशन करने में मदद करेगा। बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ हाईवे के किनारे के घरों के लिए ऊर्जा समाधान भी प्रदान करेगा।

उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पूरी तरह से सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) पर निर्भर होने वाला पहला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने के लिए तैयार है। पिछले साल से चालू, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expresway) में पूरे राजमार्ग पर सौर पैनल लगाए जाएंगे, जो न सिर्फ यात्रियों के लिए सड़क को रोशन करने में मदद करेगा। बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ हाईवे के किनारे के घरों के लिए ऊर्जा समाधान भी प्रदान करेगा। राज्य सरकार की योजना पीपीपी मॉडल के तहत बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर-पावर्ड एक्सप्रेसवे के रूप में बदलने की है। इससे 550 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा होने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) के तत्वावधान में, 296 किमी लंबे चार-लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। और बाद में इसे छह लेन तक विस्तारित भी किया जा सकता है। एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड (Bundelkhand) क्षेत्र को इटावा के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है। यह चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव में NH-35 से लेकर इटावा जिले के कुदरैल गांव के पास तक फैला हुआ है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे में मिल जाता है। यह सात जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा शामिल हैं।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सौर ऊर्जा संचालित राजमार्ग में बदलने के लिए राज्य सरकार ने 1,700 हेक्टेयर जमीन की पहचान की है। चार-लेन एक्सप्रेसवे को एक डेडिकेटड सर्विस लेन के अलावा दो भागों में विभाजित किया गया है। दो लेन के बीच करीब 20 मीटर के गैप में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। जमीन की इस पट्टी का इस्तेमाल वर्तमान में एक्सप्रेसवे को इसके बगल की कृषि भूमि से अलग करने के लिए बाड़ लगाने के लिए किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने इस परियोजना के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो पीपीपी मॉडल पर आधारित होगी। टस्को, टोरेंट पावर, सोमाया सोलर सॉल्यूशंस, 3आर मैनेजमेंट, अवाडा एनर्जी, अटरिया बृंदावन पावर, एरिशा ई मोबिलिटी और महाप्रीत सहित आठ सौर ऊर्जा डेवलपर मैदान में हैं।

एक बार चालू होने के बाद, सौर ऊर्जा से संचालित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expresway) यूपीईआईडीए के लिए लीज रेंट के जरिए 4 करोड़ रुपये तक जेनरेट कर सकता है। एक्सप्रेसवे द्वारा पैदा हुए पावर की लागत से 50 करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ हो सकता है।

जबकि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे राज्य का पहला सौर ऊर्जा संचालित राजमार्ग बनने के लिए तैयार है, राज्य सरकार बाद में इसी मॉडल को अन्य एक्सप्रेसवे जैसे कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और गोरखपुर एक्सप्रेसवे में भी दोहरा सकती है।

क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expresway) आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों के लिए हजारों नौकरियां पैदा होंगी। एक्सप्रेस-वे के बगल में बांदा और जालौन जिले में औद्योगिक गलियारा बनाने का काम शुरू हो चुका है।

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