यूपी की वीरभूमि महोबा में एतिहासिक गोवर्द्धन नाथ मेले की तैयारियां शुरू, सैकड़ों साल पुराने मेले का इतिहास जानिए
बुंदेलखंड (Bundelkhand) के वीरभूमि महोबा के चरखारी में सैकड़ों साल पुराने गोवर्द्धन नाथ जू के मेले की तैयारियां अब अंतिम दौर में है। एक महीने तक चलने वाला यह एतिहासिक मेला दीपावली त्योहार के बाद गोवर्द्धन पूजा के दिन शुरू होगा। यहां श्रीकृष्ण भगवना के 108 मंदिर भी बनवाए गए थे।
महोबा:
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जिले में गोवर्द्धननाथ जू मेले (Govardhan Nath Ju Mela) को लेकर यहां नगर पालिका प्रशासन ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। ये मेला 14 नवंबर से आगाज होगा जो पूरे एक महीने तक चलेगा। मेला मंदिर में रंग रोशन के काम अंतिम दौर में है। महोबा जिले के चरखारी को बुंदेलखंड का कश्मीर कहा जाता है। इसके अतीत में गौरवशाली इतिहास छिपा है। किसी जमाने में चरखारी स्टेट रही है। इसके रियासत के महाराज उस जमाने में भगवान श्रीकृष्ण के उपासक थे। उन्होंने रियासत काल में चरखारी नगर में श्रीकृष्ण के एक सौ आठ मंदिर बनवाए थे। इतनी संख्या में श्रीकृष्ण के मंदिर देख नगर को लोग मिनी वृंदावन मानते है।
मंदिर में राधा और कृष्ण की अष्टधातु की बड़ी मूर्तियां विराजमान है जो देखने में बड़ी ही मनोरम लगती है। पूरे साल में यहां श्री गोवर्द्धन नाथ जू मेले को मनाए जाने की परम्परा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में यहीं एक ऐसा स्थान है, जहां पूरे एक महीने तक मेले की धूम मचती है। मेले में लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। महोबा के अलावा छतरपुर, टीकमगढ़, बांदा, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, फतेहपुर, कानपुर, औरैया समेत अन्य मध्यप्रदेश के आसपास के इलाकों से बड़ी तादात में लोग मेला देखने आते है। यह मेला इस बार दीपावली त्योहार के तीसरे दिन शुरू होगा।
कराए जा रहे व्यवस्था से जुड़े काम
नगर पालिका चरखारी ने मेले के आयोजन के लिए लाखों रुपये का फंड मंजूर किया है। नगर और मेला स्थलों पर एलईडी लाइटें लगवाने के साथ ही साफ सफाई और रंग रोशन के कार्य कराए जा रहे है। साहित्यकार डॉ. भवानीदीन प्रजापति ने बताया कि बुन्देलखंड (Bundelkand) में चरखारी का गोवर्द्धन नाथ जू का मेला बड़ा ही एतिहासिक है जो आसपास के राज्यों में भी प्रसिद्ध है।
1883 में मेले का पहली बार हुआ था आगाज
गोवर्द्धन नाथ मंदिर (Govardhan Nath Mandir) के पुजारी पं.रविन्द्र गुरुदेव ने बताया कि कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा संवत 1940 विक्रम वर्ष 1883 में रियासत के राजा मलखान सिंह जूदेव ने पहली बार यहां मेले का शुभारंभ कराया था। ये श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। कार्तिक मास में यह मेला पूरे एक माह तक चलता है जिसे देखने के लिये दूरदराज के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग यहां आते है।
नगर में स्थापित है श्रीकृष्ण के 108 मंदिर
चरखारी रियासत के राजा मलखान सिंह जूदेव श्रीकृष्ण के परम भक्त थे जिन्होंने नगर में श्रीकृष्ण के 108 मंदिर बनवाये थे। मंदिरों के अलावा नगर में मनोहारी झालों और सरोवरों के भी निर्माण कराये गये थे। यहां की रियासत के किले और ऐतिहासिक भवन पर्यटन के रूप में पूरे उत्तर भारत में विख्यात है। झीलों, सरोवरों के बीच बसा यह नगर बड़ा सुन्दर लगता है।
मेले में धार्मिक कार्यक्रमों की मचेगी धूम
एतिहासिक मेले में धार्मिक सत संग, प्रवचन, रामलीला, रासलीला के अलावा मुशायरा और सांस्कृतिक आयोजन लगातार दो माह तक चलेंगे। मेले में देवत्थान एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा पर भी धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होगे। ऐसे आयोजनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटेगी। मेला आयोजक तैयारियों में जुटा हुआ है। मेला ग्राउन्ड को भव्य रूप से सजाया जा रहा है।
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