इस सेमिनार में बुंदेलखंड के लोक जीवन में कला, संस्कृति, और साहित्य (Bundelkhand Art and Culture) के महत्व पर चर्चा हुई, और बुंदेली संस्कृति की खूबसूरती और उनकी जीवन शैली के साथ सामाजिक समरसता की बात की गई। बुंदेलखंड के लोग जीवन में ग्राम देवताओं और लोक देवताओं के प्रति आस्था रखते हैं और इसके बारे में चर्चा भी हुई।
बुंदेलखंड में जन्म से लेकर मृत्यु तक हर ऐसे मौके पर समाज के हर वर्ग का एक दूसरे के प्रति प्यार, सौहार्द, और साथीपन का आदान-प्रदान है। इस सेमिनार में बुंदेलखंड के लोक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर किया गया और इसके साथ ही बुंदेलखंड की खास खानपान की चर्चा भी की गई।
बुंदेलखंड (Bundelkhnad) के लोग अपने उत्सवों में लोकगीत और लोकनृत्य को महत्वपूर्ण मानते हैं और इसके महत्व पर भी चर्चा हुई। सेमिनार में जातिगत लोक गीत और लोक नृत्य की बात भी की गई, जिससे यह समझने में मदद मिली कि बुंदेलखंड के लोग अपनी संस्कृति को कैसे जीते हैं और रचनात्मकता कैसे समाज को एक सूत्र में बांधती है।
इस सेमिनार में बुंदेली साहित्य के महत्व को भी उजागर किया गया, और विशेष रूप से महाकवि 'ईसुरी' की महत्वपूर्ण बातें बताई गई। ईसुरी का साहित्यिक महत्व और इसके संदर्भ में चर्चा की गई और सुमित दुबे ने ईसुरी की चौकड़िया गाकर दर्शकों का मन मोह लिया।
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