कुलपहाड (महोबा)। बिजली विभाग के अधिकारियों की मनमानी अन्नदाताओं पर भारी पड़ रही है। रबी फसल की बुआई को पलेवा करने के लिए किसानों को पर्याप्त बिजली आपूर्ति नहीं मिल रही है। किसान रात-रातभर खेतों में रतजगा करने को मजबूर हैं। बिजली आपूर्ति जरूरत के हिसाब से मुहैया कराने की जब मांग की जाती है तो विभागीय अधिकारी अन्नदाताओं से अभ्रदता पर उतारू हो जाते हैं। जिससे किसानों में रोष व्याप्त है।
शहरी क्षेत्र (BUndelkhand) में 21 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा बिजली उपभोक्ताओं के लिए सपना बन गया है। पिछले तीन दिनों में महोबा व कुलपहाड़ के बीच एचटी लाइन का तार टूटने से कुलपहाड़ क्षेत्र की बिजली आपूर्ति पटरी से उतर गई है। पवा तिराहे के पास एचटी लाइन का तार टूट रहा है। जिसे जोड़ने में कर्मचारी सारी रात मेहनत करते हैं लेकिन कुलपहाड़ क्षेत्र में बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। जिससे खेतों में सिंचाई के लिए लगे 260 ट्यूबवेल नहीं चल पाते। ऐसे में फसल बुवाई के लिए पलेवा कर रहे किसानों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई हैं।
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सुबोध कुमार, रविकरण, अरुणेंद्र, धर्मेंद्र कुमार, रामप्रताप आदि का कहना है कि किसान 12 माह का बिजली बिल भरते है। महज चार माह बिजली का इस्तेमाल करते हैं। पर्याप्त बिजली आपूर्ति न मिलने से खेतों में खड़ी मूंगफली की फसल को उखाड़ने और रबी फसल की बुआई के लिए पलेवा करने में किसानों को दिक्कत हो रही है। पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के अंदर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ तो वह सैकड़ों किसानों के साथ धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।
बिजली विभाग के एसडीओ राकेश कुमार का कहना है कि विद्युत तार जर्जर हालत में हैं। तार टूटने पर उनकी कोई गलती नहीं है।
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