टाइगर रिजर्व की दुर्गम पहाड़ियों के बीचों-बीच महादेव का अनूठा धाम स्थल है। इसे झलारिया महादेव के नाम से जाना जाता है। यहां साल में सिर्फ एक बार दर्शन की इजाजत होती है। इस वजह से आज यानी 03 फरवरी को भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है। मालूम हो कि यह महादेव का स्थल सदियों पुराना है और उस समय का है जब नेशनल पार्क की स्थापना ही नहीं हुई थी और इसके आसपास चारों और आदिवासी वनवासियों के गांव हुआ करते थे। तभी से यह मंदिर वहां पर स्थापित है। बुजुर्गों के एक अनुमान के अनुमानित घने जंगल और पहाड़ियों के बीचो बीच यह दुर्लभ स्थल हजारों वर्ष पुराना है और यहां पर सैकड़ों वर्षो से पूजा अर्चना विधि विधान से की जा की जाती रही है। टाइगर रिजर्व के पूर्व इस स्थान पर प्रतिदिन लोग पूजा अर्चना करने जाते थे ऐसा बताया जाता है। इसी प्राचीन भोलेनाथ की गुफा में लोगों की पूर्ण श्रद्धा भावना थी। लेकिन वर्तमान समय में वर्ष में सिर्फ एक बार ही यहां दर्शन मिल पाते हैं। जिसके चलते यहां स्थानीय श्रद्धालु के अलावा दमोह, सतना, छतरपुर, बांदा उत्तर प्रदेश से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ आज के दिन पहुंचते हैं। पहाड़ी से गिरता पानी अभिषेक करता है:
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