हमीरपुर। एक पढ़े लिखे युवा प्रधान की सोच ने एक गांव की तस्वीर बदल दी है। जिले में सबसे अधिक 54 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इसी गांव से रहे। अब यह गांव एक नई सोच के साथ एक नई इबारत लिख रहा है। ग्रामीण वोटिंग का मजा लेते हैं। प्रमाणपत्र गांव में ही बनते हैं। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है।
यह सभी व्यवस्थाएं प्रधान कमलेश जराखर ने कराईं हैं। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, वनमंत्री अरूण कुमार सक्सेना, कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, मंत्री असीम अरूण पंचायत में कराए गए कार्यों को लेकर प्रधान को सम्मानित कर चुके हैं। प्रधान को अपनी मातृभूमि से इतना लगाव है कि उन्होंने अपना सरनेम भी जराखर रख लिया है।
जराखर में दो साल पहले ही घर-घर कूड़ा उठान हो रहा है। प्रत्येक घर से ग्रामीण कूड़ा के साथ गोवंश के लिए रोटी देते हैं। इससे गोवंश का पेट भर जाता है। गोशाला के गोबर वर्मी कंपोस्ट बनाने से लोगों को रोजगार और पंचायत की आय बढ़ी है। गोवंश से निकलने वाले दूध भी बेचा जा रहा है।
ग्रामीण रतन अनुरागी बताते हैं कि उन्हें गांव में ही रोजगार मिल गया है। वह गोशाला में वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम करते हैं। इससे नौ हजार रुपये कमा लेते हैं। नरेश राजपूत बताते हैं कि गांव के परिषदीय विद्यालय में स्मार्ट क्लास संचालित है।
0 टिप्पणियाँ