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एक दशक से अधर में लटके केंद्रीय विद्यालय बनने का रास्ता साफ़, बांदा में अब यहां बनेगा विद्यालय

 जिले में मात्र 8 एकड़ जमीन न मिल पाने के कारण पिछले 10 वर्षों से प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय नहीं बन सका। अब कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुभाग उत्तर प्रदेश ने केंद्रीय विद्यालय को 8 एकड़ जमीन देने के लिए बांदा कृषि विश्वविद्यालय को अनुमति प्रदान कर दी है। जिससे प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय मवई बुजुर्ग गांव के समीप कृषि विश्वविद्यालय के नार्प शोध केंद्र की जमीन पर बनेगा।



जिले के लोग अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने की हसरत कई वर्षों से पाले हुए हैं। लेकिन उनकी यह हसरत पूरी नहीं हो पा रही थी। मार्च 2013 में तत्कालीन डीएम ने केंद्रीय विद्यालय संगठन वाराणसी को केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव भेजा था। मंजूरी मिलने के बाद विद्यालय के लिए जमीन चिन्हित करने का सिलसिला शुरू हुआ। वर्ष 2019 में पचनेही गांव स्थित पंडित दीनदयाल राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज में अस्थाई रूप से केंद्रीय विद्यालय संचालित करने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी। लेकिन प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद कृषि विश्वविद्यालय परिसर में भवन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा गया। मगर जो भवन चिन्हित किया गया वह मानकों पर खरा नहीं उतरा।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के मुताबिक भवन में कम से कम 7 मीटर लंबे और 7 मीटर चौड़े क्षेत्रफल के 20 कमरे होना चाहिए ताकि एक कमरे में 40 बच्चों को बैठाया जा सके। यह प्रस्ताव खारिज होने के बाद कृषि विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में 5 एकड़ जमीन देने की स्वीकृति दी। लेकिन केंद्रीय विद्यालय 8 एकड़ जमीन से कम में नहीं स्थापित हो सकता, इसलिए यह प्रस्ताव भी खारिज हो गया।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बाद में मवई बुजुर्ग गांव में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप नार्प शोध केंद्र में 8 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव किया। जिसे कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी। विभाग के विशेष सचिव उत्तर प्रदेश अजय कुमार द्विवेदी ने इस संबंध में कुलसचिव बांदा, कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा को पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालय के लिए जो नार्प शोध केंद्र में 8 एकड़ जमीन देने का अनुरोध किया गया है। उसमें अनापत्ति प्रदान की जाती है। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुभाग द्वारा परमिशन मिलने के बाद अब केंद्रीय विद्यालय बनने का रास्ता साफ हो गया है।

बतातें चलें कि बांदा में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए एक दशक पूर्व से कवायद चल रही है। इस बीच प्रदेश में बसपा, सपा की सरकारें नहीं। भाजपा अभी भी सत्ता में है। केंद्र में लगातार करीब नौ वर्षों से भाजपा की सरकार है, लेकिन चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय में केंद्रीय विद्यालय के लिए सत्तारूढ़ दल के जनप्रतिनिधि मात्र आठ एकड़ जमीन का इंतजाम नहीं करा पाए। यह मुद्दा लोकसभा में गरमाने के बाद अभिभावकों को उम्मीद जागी थी कि शायद केंद्रीय विद्यालय जल्द खुल जाए लेकिन तब भी हसरत पूरी नही हो सकी।

केंद्रीय विद्यालय

केंद्रीय विद्यालय में एक से पांच तक की कक्षाओं का संचालन होता है। प्रत्येक कक्षा में 40 छात्रों का नामांकन किया जाता है।

बच्चों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा लागू भाषा व कोर्स के अनुसार शिक्षा दी जाती है। केंद्रीय विद्यालय द्वारा छात्रों को छात्रावास या परिवहन की सुविधा प्रदान नहीं की जाती। फीस के लिए प्रति वर्ष केंद्रीय संगठन दिशा-निर्देश जारी करता है।

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