ललितपुर-सिंगरौली नई लाइन (541 किमी) के लिए के लिए पमरे को 700 करोड़ रुपये का बजट मिला है। जिससे ललित पुर सिंगरौली नई रेललाइन के कर्य में तेजी आने की संभावना है। पिछले 25 वर्षों से इस पर काम चल रहा है। लेकिन कार्य में रफ्तार न होने से यह काम अभी भी अधूरा है। सात सौ करोड़ का बजट मिल जाने से निश्चित ही कार्य में तेजी आएगी।
दरअसल, विंध्य क्षेत्र और बुंदेलखंड को जोड़ने के लिए 541 किमी लंबी ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन परियोजना को 1997 में मंजूरी दी गई थी। करीब 925 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के तहत जिले में 2001 में भूमि अधिग्रहण शुरू किया गया। जिसमें जिले के 18 गांवों की भूमि ली गई। मगर 25 साल बाद भी यह योजना पूरी नहीं हो सकी है। इसके चलते परियोजना की लागत काफी बढ़ गई है। बताया जाता है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सतना के सांसद ने इस रेल लाइन का काम अधूरे होने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद सरकार और रेल मंत्रालय सजग हुआ।
18 गांवों की निजी भूमि हुई थी अधिग्रहित
परियोजना के लिए वर्ष 2001 में भूमि को अधिग्रहण शुरू किया गया था। परियोजना में जिले के ललितपुर, सिवनी खुर्द, रोंडा, चंदेरा, रजवारा, बिरारी, खोंखरा, कचनौंदा कलां, डंगराना, उदयपुरा, सूरीकलां, सूरीखुर्द, खाकरौन, मिर्चवारा, विलाटा, दौलतपुर और टौरिया गांव करीब 330 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन का कार्य खुजराहो तक पूर्ण हो चुका है और इस ट्रैक पर रेलवे यातायात भी सुचारू हो चुका है। लेकिन खजुराहो से आगे का कार्य काफी समय से निर्माणाधीन चल रहा है।
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