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Jhansi News: NGT ने 250 साल पुराने धार्मिक स्थल को बताया अतिक्रमण, निगम के बुलडोजर के आगे लेट लोग

 झांसी. उत्तर प्रदेश के झांसी जिले को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद जारी है. इस समय 1051 करोड़ रुपए के भारी-भरकम बजट से दिन रात एक कर जिले के सभी ऐतिहासिक-धार्मिक स्थानों को सजाने-सवांरने का काम जारी है, ताकि उनको विश्वस्तरीय बनाया जा सके. इसी कड़ी में झांसी के ऐतिहासिक रानी लक्ष्मीबाई ताल को विश्व स्तरीय बनाए जाने का काम भी लगातार जारी है. ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई ताल के दूसरे छोर पर बने कुछ धार्मिक स्थानों को एनजीटी ने अतिक्रमण की जद में पाए जाने की बात कहते हुए हटाने का आदेश दे दिया. इसको लेकर बवाल मचा हुआ है.



दरअसल जिला प्रशासन के आदेश के बाद जैसे ही नगर निगम का बुलडोजर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. धार्मिक स्थलों को हटाए जाने से आक्रोशित स्थानीय लोग निगम के बुलडोजर के आगे लेट गए. लोगों का विरोध देख पुलिस-प्रशासन ने पहले तो काफी देर तक समझाइश के प्रयास किए, लेकिन जब स्थानीय लोग नहीं मानें तो निगम की टीम पुलिस बल के साथ बैरंग वापस लौट गई. वहीं, स्थानीय लोगों के इस विरोध प्रदर्शन में राष्ट्रभक्त संगठन भी शामिल था. जिसका कहना है कि रानी लक्ष्मी बाई के सत्तासीन होने से पहले धार्मिक स्थल इस जगह पर मौजूद थे. वहीं, राष्ट्रभक्त संगठन ने नगर निगम और जिला प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि अगर धार्मिक विरासत को हटाने प्रयास हुआ, तो इसके दाम सहित परिणाम सामने आएंगे.

250 साल से भी पुराने हैं धार्मिक स्थल

इस पूरे मामले को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव का कहना है कि एनजीटी के आदेश के बाद दूसरी बार निगम और पुलिस प्रशासन की टीम अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई के लिए गई थी. हालांकि भारी भीड़ के विरोध को देखते हुए फिलहाल के लिए कार्रवाई को रोक दिया गया है. आपको बता दें कि लक्ष्मी ताल के किनारे बने ऐतिहासिक धार्मिक स्थल ढाई सौ साल से भी अधिक पुराने हैं.

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