बुन्देलखण्ड की महत्त्वाकांक्षी दुग्ध प्रसंस्करण परियोजना (मल्टी प्रोडक्ट डेयरी प्लान्ट) निर्माण में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो गई हैं। करीब ढाई वर्ष यह परियोजना लटकी रही अब जल्दी ही इसका निर्माण शुरू होगा। दो सौ करोड़ की इस परियोजना के शुरू हो जाने पर बुन्देलखण्ड के हजारों युवा दुग्ध व्यवसायियों को रोजगार मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 सितम्बर 2019 को मथुरा से इस दुग्ध प्रसंस्करण परियोजना का शिलान्यास किया था।
लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही उद्योग विभागों के बीच जमीन को लेकर पेंच फंस गया था। इस जमीन के एक हिस्से में बांदा विकास प्राधिकरण ने दीनदयाल उपाध्याय आवासीय योजना और अपना कार्यालय बनाना शुरू कर दिया था। जबकि इसमें दुग्ध प्रसंस्करण परियोजना द्वारा अपनी जमीन बताकर दावा किया जा रहा था, वहीं प्राधिकरण जमीन पर अपना दावा जता रहा था। यह भूमि विवाद न्यायालय तक पहुंच गया। अब इस जमीन की हदबन्दी होने से दोनों विभागों के बीच विवाद समाप्त हो गया है।
बुन्देलखण्ड विकास पैकेज से बनने वाले इस प्लान्ट की लागत दो सौ करोड़ रुपए है। इसके लिए एक सौ तीन करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। इस परियोजना का लक्ष्य है कि बुन्देलखण्ड के सभी सातों जनपदों के युवा दुग्ध व्यवसायियों को रोजगार मिले। दुग्ध प्रसंस्करण इकाई में आधुनिक तकनीक से उच्च गुणवत्ता का पनीर, मक्खन, शुद्ध घी व छांछ आदि तैयार किया जाएगा। गांवों में दुग्ध विकास का बेहतर बाजार विकसित होगा और ग्रामीणों को इसका अच्छा मूल्य मिलेगा।
पशुपालकों को दूध बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। प्लान्ट में ही दूध खरीदा जाएगा। प्लान्ट की गाड़ी खुद दूधियों के दरवाजे पहुंचकर दूध खरीदकर उनका नगद भुगतान करेगी। इस बारे में उप दुग्ध विकास अधिकारी चित्रकूटधाम मण्डल रामशरण प्रजापति का कहना है कि विकास प्राधिकरण के बीच जमीन को लेकर जो विवाद चल रहा था, हदबन्दी के बाद समाप्त हो गया है। विकास प्राधिकरण की तेरह एकड़ जमीन निकली है, जो उसे दे दी गई है। अब जल्दी ही दुग्ध प्रसंस्करण परियोजना का निर्माण शुरू होगा, जो बुन्देलखण्ड के लोगों के लिए सरकार की सौगात होगी।
साभार- बुंदेलखंड न्यूज़
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