मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के एक वरिष्ठ अफसर की ग्वालियर की मानसिक आरोग्यशाला को लिखी गई एक चिट्ठी से हड़कंप है। अफसर दिनेश कुमार जैन ने चिट्ठी में लिखा है कि उनके साथ काम करने वाले कुछ लोग मानसिक रोगी हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं कि वे ही सबसे ज्यादा ईमानदार हैं। बाकी सब भ्रष्ट हैं। इनके इलाज के लिए आरोग्यशाला वाहन भेजे या हम उन्हें भिजवा देते हैं।
यह पत्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के मुख्य अभियंता संतोष शुक्ला को भी भेजा गया है और नाेटिस बाेर्ड पर भी लगाया गया है। जैन ने चिट्ठी की पुष्टि करते हुए कहा है कि साल में एक बार चैकअप हो सकता है तो यहां क्यों नहीं। इन लोगों ने पिछले दिनों बेल्ट टूटा होने के बाद भी डीजी सेट चला दिया। ड्यूटी दो तो आरोप लगाते हैं। इनमें से कई की विभागीय जांच चल रही है।
पत्र में लिखा-अवसाद ग्रसित यह लोग खुद को ईमानदार और दूसरों को भ्रष्ट बताते हैं ‘कुछ कर्मियों का कार्यस्थल पर लंबे समय से विचित्र आचरण एवं असामान्य व्यवहार देखा जा रहा है। बातचीत से ये मनोरोगी जैसे परिलक्षित हो रहे हैं। ये कुछ लोग ईमानदारी से काम कर रहे कर्मचारी-अधिकारियों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचारी बता रहे हैं। यह भ्रांति भी फैला रहे हैं कि जो काम नहीं कर रहा है, वह सबसे ईमानदार व्यक्ति होता है। कुछ कर्मचारी स्वयं को मानसिक रोग “अवसाद” (डिप्रेशन) से ग्रसित होना बताकर आत्महत्या करने की लिखित शिकायतें करते रहते हैं। हालांकि वे “अवसाद” को मानसिक रोग नहीं मानते। प्लांट में बिना किसी वजह के घूमते हैंं। स्वयं को डिप्रेशन से ठीक बताने लगते हैं। राजघाट जल विद्युत गृह बिजली उत्पादन के महत्वपूर्ण काम को करता है। ऐसे लोगों (डिप्रेशन से ग्रसित) द्वारा कोई भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे प्लांट को क्षति पहुंचेगी। लिहाजा ऐसे व्यक्तियों को मानसिक परीक्षण या अस्पताल में इलाज के लिए यदि भर्ती कराया जाना हो तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी बताएं।’
0 टिप्पणियाँ