ग्वालियर के 12 खिलाड़ियों ने विभिन्न आयु वर्ग में लाठी की साउथ एशियन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में स्थान बनाकर नाम रोशन किया है। इनमें 12 साल का रूद्रांश शर्मा भी शामिल है। बेहद सामान्य परिवार से नाता रखने वाले रूद्रांश ने कोई महंगा खेल न चुनते ही चंबल की परम्परा लाठी के खेल को अपनाया। बीते तीन साल से वह लाठी के साथ खेल रहा है। स्टेट और नेशनल लेबल पर गोल्ड लेने के बाद अब उसका चयन इंटरनेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ है। रूद्रांश सोमवार को दल के साथ ग्वालियर से नेपाल के लिए रवाना हो गया है। ग्वालियर से ट्रेन से दिल्ली पहुंचेंगे। वहां से फ्लाइट के जरिए नेपाल जाएंगे।
पड़ोसी देश नेपाल में 27 जुलाई से हो रही दो दिवसीय साउथ एशियन लाठी स्पोर्ट्स चैंपियनशिप के लिए ग्वालियर से 12 खिलाड़ियों का दल रवाना हो गया है। यह 12 खिलाड़ी विभिन्न आयु वर्ग के लिए चयनित हुए हैं। इस चैंपियनशिप में ग्वालियर के 12 खिलाड़ी विभिन्न आयु वर्ग में अपनी चुनौती पेश करेंगे। दो दिवसीय चैंपियनशिप में शामिल होने से पूर्व इन खिलाड़ियों को संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया।
ग्वालियर से खेलने जाने वाले खिलाड़ियों में रुद्रांश शर्मा, चित्रांश श्रीवास, आर्यन श्रीवास, अमन शर्मा, कपिल हर्षाना, शिवेंद्र प्रताप सिंह, विकास मांझी, विशाल मांझी, अनुराधा दुबे, महिमा मांझी, राधिका मांझी और कृष्णा शर्मा के नाम शामिल हैं। यह टीम सोमवार को कोच व प्रबंधक करन मांझी के नेतृत्व में ग्वालियर रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए रवाना हुई है। वहां से यह टीम फ्लाइट के जरिए नेपाल में होने वाली चैंपियनशिप में पहुंच कर हिस्सा लेगी। इस पर ट्रेडिशनल लाठी स्पोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नितेंद्र चांदिल ने इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों को श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
बेटे की कामयाबी पर पिता को फक्र
वही इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी 12 वर्षीय रुद्रांश शर्मा दल में सबसे छोटे हैं। रूद्रांश के पिता विशाल शर्मा सामान्य परिवार से हैं। उनके अपने बेटे की कामयाबी पर फर्क है। उनका कहना है कि उनका बेटा पिछले 3 सालों से खेल रहा है। इससे पहले रुद्रांश ने 2021 में उज्जैन में हुई चैंपियनशिप में स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता था।
वहीं, 2021 में भी ग्वालियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। उनका कहना है कि अब मेरा बेटे का चयन इंटरनेशनल चैंपियनशिप में हुआ है उन्हें बहुत खुशी हो रही है वह चाहते हैं कि उनका बेटा नेपाल में होने वाली इस चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीत कर अपने शहर ग्वालियर और देश का नाम रोशन करें।
क्यों चुनी लाठी?
जब रूद्रांश के पिता से पूछा कि उनके बेटे ने लाठी चैंपियनशिप ही क्यों चुनी, जबकि आज के दौर में बच्चे क्रिकेट के लिए क्रेजी हैं। इस पर विशाल शर्मा का कहना है कि यह जमीन से जुड़ा खेल है। लाठी चंबल की पहचान रही है। यहां के लठैतों और पहलवानों ने देश में नाम रोशन किए हैं। ऐसे ही उन्होंने एक दिन रूद्रांश को लाठी चलाते देखा। जब उसकी उम्र करीब 7 साल रही होगी। उस दिन उनको लगा कि उसका हाथ लाठी चलाने में अच्छा है। इसके बाद बेटे को प्रोत्साहित किया और वह आगे बढ़ता चला गया।
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