बुन्देलखण्ड के जनमानस में हिन्दू संस्कृति विद्यमान है। यहाँ पर विधि-विधान पूर्वक जातक को संस्कारित किया जाता है। प्रत्येक संस्कार के अवसर पर लोकगीत गाये जाते हैं।
1. गर्भाधान संस्कार (फूल चैक): इस संस्कार पर फूल चैक या सोनारा गीत गाये जाते हैं। जो इस प्रकार है-
दुलैया चैके आई
सोने के दिया जगाऔ, दुलैया चैके आई।
चंदन चैक पुराऔ, दुलैया चैकें आई।
वम्मन बुलाऔ पत्रा दिखाओ, गुन के गनित लगाऔ।
दुलैया चैके आई -----
2. पुंसवन संस्कार:
राजा तो पोंढे पलंग वै, रानी मले पिंड़री महराज
हंस हंस पूछे राजा दसरथ कैसी धन अनमनी महराज
भौतऊ तौ है गो राजा अन्नधन, भौतऊ लक्ष्मी महराज
सूनौ अजुध्या को राज, अकेली संचत बिना महराज।
तुम राजा जैयो बजारै, संचत मोल लिवइयो महराज।
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार:
ऐसी किरपा कब कर हैं भगवान
मेरे आंगन बजै बधाऔ
पिंया कुत्तन को डारौं कलेवा, पहुरुअन मांद, पहुरुअन मांद रे।
राजासोय जायं रखवारे नौरंगिया हमें तोड ल्याबरे।
पिया कुत्तन को ..................
4. जात कर्म संस्कार:
मोरे डरे-डरे कहरांय, गोविन्दा भू पै डरे,
मोरे डरे-डरे कहरांय, गोविन्दा भू पै डरे,
जाय जौ कैयो उन राजा ससुर सो
रतना देय लुटाय। गुविन्दा ..............
5. नामकरण संस्कार:
दशरथ जू की रनियां रामा लयें कइयां।
दशरथ जू की ........
कौना के रामा भये, कौना के लक्षमनियां।
दशरथ जू की ......
कौशिल्या के रामा भये, सुमित्रा के लक्षमनियां
दशरथ जू की ......
6. निष्क्रमण संस्कार (सोर उठना):
1. कुँआ पूजन गीत: (जाते समय का गीत)
उपर बदर घहराये हो,
नैंचे गोरी पानी खौ निकरी।
जाय जो कइयौ उन राजा ससुर सों
आंगन में कुइया खुदायं
बहु तुमाई पानी खों निकरी।
2. गिर्रापै डोरी डार गुइयां (पानी का गीत)
डार गुइयां कि डराब गुइयां,
गिर्रापै डोरी जब नीकी लागै
सोनन घडेलना होय गुइयां। गिर्रा पै .....
3. फुलबगिया हो राज मेह बरसै (कुँआ से घर लौटने का गीत)
गोरी भींज गयी गलियन में
गोरी जो भी जै, भीज जान देऔ
घुंघटा हो राजा लियो बचाय। फुलबगिया .......
4. हम पैरें मूंगन की माला (गगरी उतारने का गीत)
हमाई कोऊ गगरी उतारौ
का गये मोरे सैंया गुसैंया,
का गये बारे लाला। हमाई कोऊ ........
7. अन्न प्राशन संस्कार:
जनक जू के महलन में कैसी परीभीर,
हरष भरी भीर, हुलस भरी भीर
नाना चटा रहे, ललन को खीर
काहें की बिलियां, काहे की खीर
सोने की बिलियां, इमरत की खीर
मामा चटा रहे, ललन को खीर।
8. चूड़ा कर्म संस्कार: (मुण्डन)
झालर जबई मुडाय हों, जब आजुल घर होय,
झालर मोरी पाहुनी
झालर जौ कौ है खेत, झालर मोरी पाहुनी,
झालर के कारने मैंने कष्ट सहे अनेक,
ए झालर के कारने तले हैं, अम्मा इमलिया बेर
ए झालर के कारने मैने सहे है, बोल कुबोल
झालर मोरी पाहुनी .....................
9. वेदारम्भ संस्कार:
1. कौशल्या जू माई कै कई जूमाई,
पंडित जू नेग मांगें, वेद की पढ़ाई
राजा जू को घोड़ा मांगे, वेद की पढ़ाई
2. सौने के सिंहासन बैठे राजा आजुल,
नाती ने शर मचाई रे,
कै तौ आजुल मोरे कान छिदाऔ,
कै तो पढ़ाऔ चटसार रे। ............
10. उपनयन संस्कार:
1. तीन तगा कौ डोरा री, दमरी कौ सूत ए भैया,
तीन तगा को जनवारी, कैसो मजबूत ए भैया,
पैले में विश्नू, दूजे में वरमा, तीजे में शंकर
अवदूत ए भैया,
पैले तगा में ओंकर है, दूजे में अगन सबूत ए भैया।
तीन तगा ...............
1. काँसी में बरुआ चलौ उर,
आऔ आजुल दरबार
भीक दैओ आजी, भीक दैओ,
तोय भीक न पूजी होय,
माँ भर असीस देऔ, ...........
11. कर्ण भेदन संस्कार (कंछेदना):-
सोने के सिंहासन बैठे राजा आजुल
नाती ने रार अचाई रे .........
कै तौ आजुल मोरे कान छिदाऔ
कै तौ पढ़ाऔ चटसार रे .......
12. वानप्रस्थ संस्कार:-
राम राम खौ भज लै प्यारे, क्यों करते सैना कानी,
हम जानी कैं तुम जानी
बालापन हंस खेल गमाये, दूध पिये मुस्का जानी।
हम जानी ..........
रामा आई ज्वानी लाल भई अंखियां, अलियां, गलिन
इटला जानी। हम जानी ...........
आये बुढ़ापे थकित भई देहिया, लै लठिया पसता जानी
हम जानी .................
13. सन्यास संस्कार -
मन लागौ है, राम फकीरी में
जो सुख है मोय राम भजन में, सो सुख नैयां अमीरीमों
हाथ में सौंटा बगल में टूमा, चारउ धाम जंजीरी में,
मन लागौ ...........
14. अन्त्येष्टि संस्कार:-
चलन चलन सब कोऊ कहै
चलबौ हंसी न खेल
चलबौ सांचे, ओई कौ
जी कौं भौरों बुलावे टेर। चलन चलो ..........
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