Bundelkhandi Kahawatein
अँसुआ न मसुआ, भैंस कैसे नकुआ ॥
अक्कल पै पथरा पर गये ॥
अकुलायें खेती,सुस्तायें बंज ॥
अकेली हरदसिया, सबरो गाँव रसिया ॥
अकौआ से हाती नईं बंदत ॥
अटकर की फातियाँ पड़बो ॥
अड़ुआ नातो, पड़ुआ गोत ॥
अत कौ भलौ न बोलनो, अत की भली न चुप्प ।
अत कौ भलौ न बरसबो, अत की भली न धुप्प ॥
अनबद खैला ॥
अपनी टेक भँजाइ, बलमा की मूँछ कटाई ॥
अपनी मताई से कोऊ भट्टी नईं कत ॥
अपनूईं गावें, अपनूईं बजावें ॥
अंधरन की लोड़ कीताउं लगे ॥
आग लगे तोरी पोथिन मैं ।
जिउ धरौ मोरो रोटिन में ॥
आदमियन में नौआ, और पंछियन में कौवा ॥
आप मियाँ मांगते, दुवार खड़े दरवेश ॥
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